कल्बे अहमद व इखलाक अहमद डेविड को अहले बैत अमन अवार्ड से नवाज़ा गया।*

 


कानपुर 05 फरवरी पैगम्बर ए इस्लाम की शहज़ादी खातून ए जन्नत हज़रत सैय्यदना फातिमुज्ज़हरा की यौम ए विलादत के मौके पर जशन हज़रत फातिमुज्ज़हरा हज़रत सैय्यद गुलाम मोहम्मद शाह खानकाहे तौसवी व हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह खानकाहे हुसैनी में मनाया गया खानकाहे हुसैनी में सुबह 11 बजे व खानकाहे तौसँवी में दोपहर 2 बजे मनाया गया।

खानकाहे तौसँवी में जशन ए फातिमुज्ज़हरा की सदारत कल्बे अहमद ने की जशन की शुरुआत तिलावते कुरानपाक से हाफिज़ मोहम्मद रज़ा ने की उसके बाद नातख्वाह ने नात मनकबत का नज़राना पेश किया उसके बाद खिताब हज़रत अल्लामा शेख जाबिर अली अंसारी व मौलाना अमीर हमज़ा ने किया जिसमें बीबी फातिमा ज़हरा ने शरियत की पाबंदी करते हुए सादगी से अपनी ज़िंदगी गुज़ारी बीबी फातिमा बहुत सखी थी उनके दरवाज़े से कोई मांगने वाला खाली नही जाता सखावत का यह आलम था कि जब भी अल्लाह के नाम पर साहिल सदा लगाता तो वो दस्तरख्वान पर सज़ा हुआ खाना भी उस खिदमत में पेशकर देती थी। मेहमान ए खुसूसी हाफिज़ मोहम्मद नदीम व सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी थे। मुल्क मिल्लत व इंसानियत के कार्यों में अपना अहम योगदान देने वाले कल्बे अहमद, मौलाना हामिद हुसैन, सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी, मोहम्मदी यूथ ग्रुप के अध्यक्ष व साहिबे सज्जादा खानकाहे हुसैनी इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, शेख जाबिर अली अंसारी, मौलाना अमीर हमज़ा, मौलाना हामिद हुसैन व सूफी मोहम्मद मोइनुद्दीन चिश्ती को अहले बैत अमन अवार्ड से नवाज़ा गया उसके बाद नज़र मौला अली व लंगर तक्सीम किया गया। निज़ामत अबूज़र काज़मी ने की। खानकाहे हुसैनी में साहिबे सज्जादा इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने दुआ की दुआ में अल्लाह से अपने हबीब मौला अली खातून ए जन्नत के सदके में हमारे मुल्क सूबे शहर में अमनों अमान कायम रहने खुशहाली तरक्की देने, नमाज़ की पाबंदी करने, पूरे आलम से दहशतगर्द का खात्मा होने की दुआ की।

जशन ए फातिमुज्ज़हरा में खानकाहे तौसँवी व खानकाहे हुसैनी में कल्बे अहमद, खानकाहे तौसँवी के सज्जादानशीन सूफी सैय्यद मोहम्मद हारुन चिश्ती, नायब सज्जादा सूफी मोहम्मद मोईनुद्दीन चिश्ती, मौलाना अमीर हमज़ा, शेख जाबिर अली अंसारी, हाफिज़ मोहम्मद नदीम, सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी, मोहम्मदी यूथ ग्रुप के अध्यक्ष इखलाक अहमद डेविड, बशीर हैदर, खुर्शीद अहमद, माबूद खान, अफज़ाल अहमद, एजाज़ रशीद, सूफी मोहम्मद शारिक आदि मुख्य रुप से मौजूद थे।

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