परमवीर चक्र बिजेता कैप्टन बन्ना सिंह जी को राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जनकल्याण संगठन का“मोटीवेटर”(लाइफटाइम गोल्डेन मेम्बर) बनाया गया।

 


चंडीगढ़ 31 जनवरी 2021 ….राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जनकल्याण संगठन में सम्मिलित होकर देश हित के लिए सेवार्थ भाव से कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं में जोश और जज्बा देखने को मिल रहा है साथ ही संगठन में सदस्यों की सदस्यता में निरंतर बढ़ोतरी होती जा रही है।


इसी क्रम में आज एक महत्वपूर्ण जानकारी संगठन के राष्ट्रीय मुख्य सचिव श्री रणजीत वर्मा जी ने दी उन्होंने ऐके न्यूज लाइव को बताया कि देश के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ” परमवीर चक्र ” से सम्मानित मानद कैप्टन श्री बन्ना सिंह (बाना सिंह) को ब्रिगेडियर हरचरण सिंह ,वीएसएम,राष्ट्रीय सलाहकार सचिव सिविल डिफेंस सेल की संस्तुति पर राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जनकल्याण संगठन का “मोटीवेटर”(लाइफटाइम गोल्डेन मेम्बर) नियुक्त किया गया

कैप्टन बन्ना सिंह जी के संगठन में जुड़ने एवं मोटीवेटर बनाये जाने से संगठन के समस्त पदाधिकारियों ने हर्ष व्यक्त किया है और कहा कि कैप्टन बन्ना सिंह जी से अच्छा प्रेरक और कोई नहीं हो सकता , वहीं राष्ट्रीय मुख्य सचिव, ,राष्ट्रीय चेयरमैन, राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित संगठन के समस्त पदाधिकारियों ने उन्हें बधाई शुभकामनाएं दी। आयिये परमादरणीय परमवीर चक्र विजेता कैप्टन श्री बन्ना सिंह(बाना सिंह ) जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हैं


मानद कैप्टन बन्ना सिंह अथवा बाना सिंह परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय भूतपूर्व सैनिक हैं।हमारे जीवन में सैनिकों एक महत्वपूर्ण योगदान होता है, इन्हीं लोगों के कारण हम अपने घरों में सुरक्षित रह पाते हैं. ये अपना पूरा जीवन देश सेवा में समर्पित कर देते हैं और देश के लिए किसी भी समस्या का सामना करने से नहीं डरते है. इनके रहते हुए कोई हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. एक ऐसे ही सैनिक के जीवन परिचय के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश सेवा में लगा दिया और इनके योगदान को हमेशा याद रखा जाता है.


बन्ना सिंह जीवनी- Bana Singh Biography in Hindi Jivani


इस महान शख्सियत का नाम है मानद कैप्टन बन्ना सिंह अथवा बाना सिंह. जो परमवीर चक्र से सम्मानित एक ऐसे सैनिक हैं जिन्होंने कई बार देश की रक्षा में योगदान दिया. बाना सिंह मातृभूमि का वो लाल है जिसने पाकिस्तान को दाँतों तले चने चबा दिए और दुश्मनों को दिखा दिया कि भारत माता के लाल हमेशा उसकी रक्षा के लिए आगे खड़े रहते है. आज हम आपके सामने मानद कैप्टन बन्ना सिंह अथवा बाना सिंह की जीवनी बताने वाले हैं, आपको बाना सिंह से सीखना चाहिए कि किस तरह से मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया जाता है.


पूरा नाम – कैप्टन बन्ना सिंह अथवा बाना सिंह

जन्म तिथि – 6 जनवरी 1949

सेवा – भारतीय सेना 

सेवा साल – 1969-2000

उपाधि – मानद कैप्टन 

दस्ता- जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री

युद्ध – सियाचीन ग्लेशियर, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन राजीव

सम्मान- परमवीर चक्र


1. कैप्टन बन्ना सिंह अथवा बाना सिंह का जीवन परिचय –

बाना सिंह का जन्म 6 जनवरी 1949 को जम्मू कश्मीर के काद्याल गांव में हुआ था. बचपन से ही ये खुद को देश के लिए ही समर्पित करना चाहते थे. इसलिए इन्होंने कड़ी मेहनत करके साल 1969 में सैनिक जीवन की शुरुआत की और यह जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री शामिल हुए. सबसे पहले ये नायब सूबेदार के पद पर रहे बाद में मेजर और मानद कैप्टन बनाए गए. 

बाना सिंह ने अपने जीवन में कई ऐसे काम किए, जिनके लिए इन्हें सम्मानित किया गया है. भारत के गणतंत्र दिवस परेड का नेतृत्व और भारत के राष्ट्रपति को सर्वप्रथम सलामी देने का अधिकार भी बाना सिंह के पास ही है. जब से देश आजाद हुआ है तब से आज तक सैनिकों ने खुद का आत्मसमर्पण कर देश की रक्षा की है. पाकिस्तान लगातार अपने मंसूबों को कामयाब करने के लिए नई-नई चाल चलता रहता है लेकिन भारत के सैनिक पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेरने में देर नहीं लगाते. भारतीय सेना और पाकिस्तान के बीच अभी तक चार युद्ध हुए हैं, जिसमें कुछ मोर्चे भी हुए. जहां हिंदुस्तान के बहादुर शेरों ने पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया। इन्हीं मोर्चे में शामिल है. सियाचिन का मोर्चा. जिसमें बाना सिंह ने विशेष योगदान देकर परमवीर चक्र हासिल किया.

2. सियाचिन मोर्चे में बाना सिंह ने हासिल की फतह –

सियाचिन ग्लेशियर में पाकिस्तान सेना लगातार गलत तरीके से घुसपैठ करती आई है. पाकिस्तान ने 1987 में सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सीमा में एक अद्भुत चौकी बनाई जो किसी दुर्ग की तरह बनाई गई और नाम दिया कायद चौकी.

जिसके बाद भारत ने फैसला लिया और हर कीमत पर कायद चौकी को हटाकर कब्जा करना है. इस मिशन को पूरा करने के लिए बाना सिंह खुद आगे आए और कहा कि मैं और मेरे साथी चौकी पर फतह हासिल करने के लिए जी जान लगा देंगे. बाना सिंह और उसके साथियों ने सियाचीन मोर्चो को शुरू करते हुए पाकिस्तानी सेना के नाक से पानी पिला दिया. उस दौरान भारतीय सैनिक बाना सिंह ने बर्फ की उस सपाट दीवार को पार कर दिया जिसे पार करने के लिए पहले ही भारत के कई बहादूर शेर अपने प्राण गवां चुके थे. ये बड़ा ही जोखिम भरा काम था. क्योंकि रात में वहां तापमान -30 डिग्री नीचे गिरा हुआ था और हवाएं तेजी से चल रही थी. हर मुश्किल का सामने करते हुए बाना सिंह और उनके साथी ऊपर पहुंच गए. बाना सिंह ने दीवार पार करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों पर ग्रेनेट से हमला कर सैनिकों को मार गिराया. जिसमें पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप के कमांडो मारे गए और बाना सिंह ने अपनी बहादूरी और शौर्य के बल पर चौकी पर फतह हासिल की. उनके इस काम की भारत सरकार ने खुब सराहना की और बाना सिंह को परमवीर चक्र देने का फैसला लिया.

इस तरह से बाना सिंह ने दुश्मनों से देश की रक्षा की और बहादुरी दिखाते हुए पाकिस्तानी सेना ने अपनी सीमा को वापस लिया और सुरक्षा प्रदान की.

3. परमवीर चक्र क्या है? 

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो कि युद्ध भूमि में किसी सैनिक के द्वारा उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग दिखाने पर प्रदान किया जाता है. अधिकतर स्थितियों में यह सम्मान सैनिक के शहीद होने पर ही दिया गया है. परमवीर चक्र की शुरुआत 26 जनवरी 1950 को की गई थी, तब भारत गणराज्य घोषित हुआ था. भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार को प्राप्त करने का अधिकारी होता है. देश का यह सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है. परमवीर चक्र हासिल करने वाले भारत के महान वीरों की लिस्ट में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति रहे हैं जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे. सूबेदार मेजर बाना सिंह जम्मू कश्मीर लाइव इन्फेंट्री की आठवीं रेजिडेंट में उस समय कार्यरत थे.

4. सियाचिन के मुश्किल हालात

सियाचिन की पर्वत श्रेणी को सबसे मुश्किल हालातों वाली पर्वत श्रेणी बोला जा सकता है. समुद्र तट से सियाचिन की ऊंचाई 21153 फीट की बताई गई है. सियाचिन में 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बर्फीली हवाएं हमेशा चलती रहती हैं और यहां का अधिकतम तापमान -35 डिग्री सेल्सियस रहता है. यहां के तापमान में जीवन और खासकर इंसानी जीवन बेहद मुश्किल भरा रहता है. भारत के लिए सियाचिन बेहद महत्वपूर्ण है. सियाचिन के अंदर एक तरफ मुश्किल चाइना रहा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान भी हमेशा मुश्किलें खड़ी करता रहा. सियाचिन में घास और पेड़ नहीं उगते हैं हरियाली यहां पर बिल्कुल नजर नहीं आती है और सबसे खास बात यह है कि सियाचिन के अंदर सांस लेना बेहद मुश्किल रहता है. चीन में भारत पाकिस्तान और चीन की सीमाएं मिलती हैं 5180 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र चाइना ने भारत से कब्जा लिया है.

1987 के अंदर पाकिस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सीमा के अंदर एक चौकी का निर्माण किया था. भारत को लगता था कि सियाचिन के ऊपर पहुंच पाना पाकिस्तान के लिए नामुमकिन है इसलिए भारतीय सेना ने इसकी फिक्र छोड़ दी थी. पाकिस्तान ने जिस चौकी का निर्माण किया था उसका नाम कायद चौकी था और यह पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर गई थी. पाकिस्तान की चौकी की संरचना बेहद मुश्किल थी. ग्लेशियर के ऊपर निर्माण किया था जिसके दोनों तरफ 1500 फिट ऊंची बर्फ की दीवारें थी जो इस चौकी की रक्षा करती थी. पाकिस्तान ने भारतीय सेना में अतिक्रमण किया था इसलिए भारतीय सेना को इसका जवाब देना था. भारतीय सेना ने प्रस्ताव बनाया कि इस चौकी को हटाना होगा और इसी प्रस्ताव के जवाब में नायब सूबेदार बाना सिंह आगे आए. अपने चार साथियों के साथ नायब सूबेदार बाना सिंह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ लिए थे. योजना यह थी कि एक तरफ बाना सिंह आगे बढ़ेंगे तो दूसरी तरफ भारतीय सेना पाकिस्तानी लोगों को दूसरी तरफ से उन्हें घेरे रखेगी।कायद पोस्ट की दीवार बर्फ से बनी थी इसलिए भारतीय सैनिकों का इसके ऊपर चढ़ना बेहद मुश्किल था लेकिन भारतीय सैनिकों ने यह काम करके दिखाया. रात का तापमान शून्य से भी 30 डिग्री नीचे था. तेज हवाएं चल रही थी इसके बावजूद भी भारतीय सेना ने यह काम किया. भयंकर सर्दी थी और बंदूक भी ठीक से काम नहीं कर रही थी. बंदूक और ग्रेनेड से हमला करके भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान स्पेशल सर्विसिस के कमांडो को मार गिराया और इस चौकी पर भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया.


National Chairman Mr.  Deepak Sharma Ji and National President Mrs Rekha Bhooshan ने कहा कि कैप्टन बन्ना जी के रूप में NCCHWO ,परिवार को एक अनमोल हीरा मिला, जिस पर  हमें ही नहीं पूरे देश को गर्व है।




Md. Ajruddin Ansari

   Chief editor

Fast News India Live

P.R.O To National Committee

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