#14_अगस्त_1942 भारतीय, स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के सबसे कम उम्र के अमर वलिदानी शहीद रामचंद्र विद्यार्थी का जन्म 1 अप्रैल 1929 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के नौतन हथियागढ़ गांव में हुआ था। माता का नाम मोतीरानी पिता का नाम बाबूलाल प्रजापति था। पिताजी मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते थे। इनके चार पुत्र गोपीनाथ, रामबड़ाई, रामपरोज, रामचंद्र थे। बालक रामचंद्र बचपन से ही देशभक्त थे। रामचन्द्र विद्यार्थी सातवीं कक्षा में पढ़ते थे और आजादी के दीवाने थे।
9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन का ऐलान किया था। रामचन्द्र विद्यार्थी इस आंदोलन में कूद पड़े थे और उन्होंने 14 अगस्त 1942 को देवरिया जॉइंट मजिस्ट्रेट उमराव सिंह के इजलास पर तिरंगा फहराने के लिए स्कूल से विधार्थियो को लेकर पैदल ही चल पड़े रास्ते में आंदोलनकारीयो का हुजूम जुड़ता गया सभी स्कूल कॉलेज बंद हो गए सरकारी इजलास पर पहुचते ही रामचंद्र विद्यार्थी ने तिरंगा फहराने की घोसना की सभी विद्यार्थियो ने पिरामिड बनाकार विद्यार्थी को इजलास पर चढ़ा दिया विद्यार्थी ने अंग्रेजी झंडा उतारकर फेंक दिया और भारत माता की जय जयकार करते तिरंगा झंडा फहरा दिया l मजिस्ट्रेट ने गोली चलाने का आदेश दे दिया विद्यार्थी ने आगे बढ़कर कहा की मेरे सीने में चाहे जीतनी गोलिया चला दो मेरा लक्ष्य पूरा हो गया है अंग्रेजो ने तीन गोलिया इनके सीने में मारी बालक विद्यार्थी फिर भी जय जयकार करता रहा और तिरंगे की आन बान शान के लिए शहीद हो गया l उन्होंने मात्र 13 वर्ष की उम्र में देश के लिए अपनी जान दे दी। मगर बड़े खेद का विषय है कि इतिहास में इनके बारे में बहुत कम जानकारी है। और न ही सरकारी तौर पर इन्हे याद किया जाता है। भारतीय इतिहास के सबसे कम उम्र के आज़ादी के लियें शहीद हुयें ऐसे वीर सपूत को सत् सत् नमन ।
उपस्थित राजाराम पंडित,धनंजय प्रजापति नंदकिशोर पंडित,सुरेश पंडित,उमेश पंडित,देवनारायण पंडित,बबलू पंडित,सिकंदर पंडित,अजित पंडित,उमेश पंडित